लघु कथा :- पुनर्जन्म
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डाक्टरों की लापरवाही से सवा महीने का
राजू कोमा में चला गया था। पीठ पर मीजल्स के दाने को एक मामूली दाना समझ
उसका इलाज कर रहे तीन डॉक्टरों की कालेज के प्रिंसिपल द्वारा एम् डी रोक दी गई। अब
बचने की कोई आशा नहीं है बच्चे को मनेन्जाइट्स और इंसिफिलाइटिस दोनों है ।
प्रिसिपल द्वारा नियुक्त डॉक्टरों के नए पैनेल ने अपनी राय मरीज बालक के माँ-बाप
को बताई । " हम तो अपना कार्य कर ही रहें हैं अब सब कुछ भगवान के
हाथों में है वही रक्षा कर सकतेहैं। "
तभी किसी ने कहा कि अगर चौक की काली जी के मंदिर का जल बालक की
पलकों में लगाएं तो बालक जल्द ठीक हो सकता है । बस फिर क्या था बालक के माता-पिता
काली जी के मंदिर जाकर रोज मत्था टेकते और माँ को चढ़ाये जल को बालक की पलकों में
लगाते । माँ काली कभी अपने सच्चे भक्तों को निराश नहीं करतीं है। ठीक चौबीस दिन
बाद बालक ने अपनी आँखे खोल दी । और धीरे-धीरे सबको पहचानने लगा । मेडिकल हिस्ट्री में
यह एक रिकार्ड दर्ज हो गया था प्रिंसिपल साहब को खुद पर विश्वास नहीं हो रहा था
जहाँ दवाइयाँ असर ना की वहां माता-पिता की दुआएँ काम कर गईं ।
मौत की आगोश में पड़ा मूर्छित बालक का
पुनर्जन्म हो चुका था ।
(पंकज
जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
17/02/2015
17/02/2015
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