नुक्कड़ नाटक
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शहर के व्यस्तम इलाके के बड़े चौराहे पर मजमा लगा था । लोग उचक उचक कर देख रहे थे कि क्या हो रहा है । बड़ी भीड़ को चीरता हुआ अंदर प्रवेश किया तो देखा ' निर्भया ' को लोग इंसाफ दिलाती एक मण्डली नुक्कड़ नाटक खेल रही है।
गले में तख्ती लटकाये कुछ युवक और युवतियां अपनी बारी के इन्तेजार के बाद डायलॉग बोलते और लोग उस पर तालियां बजाते।
"अरे आखिर कब तक यह जुल्म हम सहते रहेंगे -क्या दुनिया में इन्साफ की कोई जगह नहीं"
तभी भीड़ से एक आवाज आई "जब इतने छोटे टाइट कपडे पहनोगी तो कुछ नही बहुत कुछ होगा ।"
मात्र पन्द्रह मिनट के बाद नाटक खत्म होने ही वाला था कि तभी किसी ने एक लड़की को धक्का दिया और वह सड़क पर गिर गई ।
ताली बजाते लोगों की निगाहे गिद्ध की भांति उसके शरीर को ताक रही थी ।
नाटक खेलने वाले और देखने वाले बुत की तरह , मौन धारण किये अपने अपने घरों को चल दिए ।
निर्भया को इन्साफ मिल चुका था ।
( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ. प्र
24/07/2015