Thursday 9 August 2018

गर्म हवा

वह ठीक नियत समय पर उसके कालेज के सामने गाड़ी पार्क करके उसकी राह देखता रहता, अपनी सहेलियों से बहाना बनाते हुए वह उसके पास जाकर बोली ' कितनी बार तुमसे कहा है कि तुम रोज मेरे कालेज मत आया करो,यह तो कहो मैंने उनसे कह रखा है की तुम मेरे ममेरे भाई हो, अगर भेद खुल गया तो मेरी कितनी.....' बात को बीच में ही काटते हुए वह बोल पड़ा' प्यार भी करती हो और डरती भी हो, अरे हम आधुनिक युग में जी रहे हैं कि पुरातन युग में'जबतक उसकी बात खत्म होती तब तक उसने अपने मुँह को कपड़े से ढका और बाईक में सवार होते हुए गोली की तेजी से बोली'अब चलो भी जल्दी से ना।' 
सारी यादें एक  चलचित्र की भांति उसके सामने घूम रही थी घर से दूर वह कॉलेज में अपना कैरियर बनाने आई थी पर तकदीर को कुछ और ही मंजूर था, प्रेमी से पाये धोखे ने उसे अंदर से तोड़ दिया था, कि अचानक एक आवाज ने उसकी तन्द्रा तोड़ी ' यह बच्चा आपको कहाँ मिला?
अनाथाश्रम की केयर टेकर ने सवाल दागा, जी इसे रात में कोई हमारे द्वार पर छोड़ गया क्या बतायें जमाना बड़ा खराब है इस मासूम की हालत तो देखिये मुझसे रहा नही गया इसलिये सीधे आपके पास चली आई , अच्छा अच्छा यह फार्म आप भर दीजिये उसने  एक पल उसकी ओऱ देखा कंचन का कुम्हलाया चेहरा कुछ और ही कहानी बयां कर रहा था देखते हुए बोली 'क्या किया जाये आजकल हर ओर गर्म हवा जो बह रही है, जी आप सही कह रही हैं' प्रतियुत्तर देते हुये उसने फार्म पकड़ाया और कदम तेजी से अनाथालय से बाहर की ओर निकल पड़े।

(पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित।
19/06/2018
लखनऊ, उ०प्र०