Wednesday 25 May 2016

प्यासा कुआँ

कैलाश में भगवान शिव ध्यानस्थ अवस्था में लीन थे । तभी नारद जी वहाँ पहुंचे " नारायण नारायण , हे ! प्रभु पृथ्वी लोक में  जनता परेशान व दुःखी है सर्वत्र लोग त्राहिमाम त्राहिमाम पुकार रहे हैं कुछ तो अपने भक्तों के कष्टों का निराकरण करें ।"

नारद की आवाज सुन शिव अपनी समाधिस्थ अवस्था से बाहर निकले और बोले , हे ! नारद मैंने तो प्रकृति को मानव के रहने के अनुकूल ही बनाया था पर मनुष्य ने अपने बढ़ते लालच के कारण भू माता का ही दोहन करना शुरू कर दिया । देखो ना पृथ्वी में चहुँ ओर जंगलो में आग ही आग लगी है नदियाँ सूखने लगी है । जंगल समाप्त हो चुके है , कृषक भूमि समाप्त हो चुकी है उसकी जगह बड़े बड़े शॉपिंग माल ने ले ली है जनगण सभी दाने - पानी को मोहताज हो चुके है । देखो नारद भू लोक में कैसे कुयें के चारों ओर मारकाट मची हुई है । लोग बूँद बूँद पानी के लिये कैसे अपनो के खून के प्यासे हो अपनों के ही रक्त से सूखें  कुँए की प्यास बुझा रहे हैं । " 

"नारायण नारायण प्रभु आप ही सृजक और आप ही संहारक हैं । मैं पालन कर्ता विष्णु लोक को चला नारायण नारायण।"


(पंकज जोशी )सर्वाधिकार सुरक्षित 
मौलिक व अप्रकाशित ।
26/06/2016

प्यासा कुआँ 1

कैलाश में भगवान शिव ध्यानस्थ अवस्था में लीन थे । तभी नारद जी वहाँ पहुंचे " नारायण नारायण , हे ! प्रभु पृथ्वी लोक में  जनता परेशान व दुःखी है सर्वत्र लोग त्राहिमाम त्राहिमाम पुकार रहे हैं कुछ तो अपने भक्तों के कष्टों का निराकरण करें ।"

नारद की आवाज सुन शिव अपनी समाधिस्थ अवस्था से बाहर निकले और बोले ," हे ! नारद मैंने तो प्रकृति को मानव के रहने के अनुकूल ही बनाया था पर मनुष्य ने अपने बढ़ते लालच के कारण भू माता का ही दोहन करना शुरू कर दिया । देखो ना पृथ्वी में चहुँ ओर जंगलो में आग ही आग लगी है नदियाँ सूखने लगी है । जंगल समाप्त हो चुके है , कृषक भूमि समाप्त हो चुकी है उसकी जगह बड़े बड़े शॉपिंग माल ने ले ली है जनगण सभी दाने - पानी को मोहताज हो चुके है । देखो नारद भू लोक में कैसे कुयें के चारों ओर मारकाट मची हुई है । लोग बूँद बूँद पानी के लिये कैसे अपनो के खून के प्यासे हो अपनों के ही रक्त से सूखें  कुँए की प्यास बुझा रहे हैं । "

नारायण नारायण प्रभु नारद जी ने की  ही आवाज जैसे ही मेरे कानों में पड़ी ।

 तुरन्त मैं नींद से हड़बड़ा कर उठा और संकल्प लिया की आज से हर व्यक्ति को जंगल बचाओ पर्यावरण बचाओ के लिये प्रेरित करूँगा ।

(पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
मौलिक व अप्रकाशित ।
26/06/16

Monday 2 May 2016

लाल सलाम -एडिटेड

"अरे रवि बहुत दिनों बाद दिखे हो ? कहीं बाहर गये थे क्या?"
कैम्पस में काफी समय बाद मिली बचपन की दोस्त आयशा ने उससे पूछा ।
"बस यूं ही घर चला गया था।"
"बड़ी अजीब बात है, कल ही मैंने घर फोन किया था तो पता चला कि तुम कई महीनो से घर गये ही नहीं।"
"अच्छा मेरी अम्मा, तुम अभी चलो मुझे क्लास अटेंड करनी है और भी काफी काम है।"
"वैसे यह क्या हुलिया बना रखा है तुमने ? लम्बे बाल, दाढ़ी, फ़टी जीन्स, यह चप्पल और कंधे पर झोला।" 
"वो.. बस यूँ हीं ......."
"कैम्पस में लोग ना जाने तुम्हारे बारे में बातें कर रहे हैं , तुम्हे पता भी है?"
"क्या कहते हैं मेरे बारे में?"
"यही कि तुम किसी संगठन से जुड़ें हो।"
"तो क्या मैंने कोई अपराध कर लिया ?"
"देखो मैं तुम्हें कुछ समझाने का प्रयत्न कर रही हूँ कि ...."
इससे पहले की वह कुछ कहती तभी उसने उसे रोक दिया 
"देखो तुम मेरी पैरेंट बनने की कोशिश ना करो। और तुम्हें यह अधिकार दिया किसने कि तुम मेरी इंकायवरी करती फिरो?"
"क्या यह भी बताना होगा कि मैं तुम्हारी कौन हूँ ? चलो बैठो कार में, पहले मैं तुम्हारा हुलिया बदलवा दूं फिर किसी अच्छे से रेस्त्रां में बैठ कर ढेर सारी बातें करेंगे।"
"तुम पूंजीवादियों की यही समस्या है कि हर समय अपने पैसे की धौंस जमाते रहते हो।"
"हैलो ! यह क्या बोल रहे हो हमारे बीच यह सब कहाँ से ? ..... " 
तभी पीछे से आती हुई भीड़ के नारों में उसकी आवाज दब गई और रवि ने तेजी से अपना हाथ आयशा से छुड़ाया और इंक़लाब ज़िंदाबाद-पूंजीवाद मुर्दाबाद  चिल्लाता हुए उसमे खो गया ।

( पंकज जोशी )सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०

लालच

कंपनी बोर्ड की मीटिंग चल रही थी, जनरल मैनेजर विभोर मीटिंग का एजेंडा पढ़ रहा था । तभी एम डी साहब के मोबाईल पर वीडियो फ़्लैश हुआ और वे विभोर से बोले

"अरे जी०एम्० साहब! कब तक यह एजेंडा सुनाकर इन लोंगो को बोर करेंगे। आइये हम सब थोडा मनोरंजन कर लें।"
"पर सर कंपनी के लिए एजेंडा इम्पोर्टेन्ट हैI" विभोर ने उन्हें टोकते हुए कहा ।

"लेकिन मिस्टर विभोर, जो मैं दिखाने जा रहा हूँ वह उससे भी अधिक महत्वपूर्ण हैं I जिसे देखने के बाद शायद आपकी जिंदगी ही बदल जाए। पर उससे पहले मैं आप लोंगो से पहले कुछ पूछना चाहता हूँ कि यह कंपनी आप सबके लिए क्या मायने रखती है ?"

अचानक कमरे में सन्नाटा पसर गया ।
"अरे आप सब खामोश क्यों हैं? अच्छा तो विभोर जी आप ही बताइयेI"

विभोर अपनी सीट से उठा और आत्मविश्वाश से बोला:
"सर कंपनी हमारी माँ है । "
"क्यों और कैसे?" बॉस ने पूछा ।
"सर यह हमें रोजी-रोटी देती है।" कहते हुए वह अपनी सीट में वापस जा बैठा ।

"वेरी गुड! मुझे आपसे ऐसी उम्मीद थी।" एम डी साहब बोले ।

और अपने फोन को प्रोजेक्टर से अटैच कर वीडियो दिखाने को कहा ।

"चलिये आज हम सब अपनी रोज़ी रोटी से मिलते हैं ।"

प्रोजेक्टर ऑन हुआ, विडियो शुरू हुआ। उसमे विभोर एक सुन्दर महिला से बात रहा था: 
“ये लो मैडम उस टेंडर की कॉपी जो हमारी कम्पनी ने भरा है I”

“वाह विभोर जी, आपने अपना वादा निभायाI ये लीजिए आपका इनामI” नोटों से भरा लिफाफा पकड़ाते हुए उसने कहा ।


“ओह थैंक्यू डिअर...” कह कर उस लड़की की कमर में हाथ डालने लगा, जिसे लड़की ने बीच में ही रोक दिया ।


“इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं विभोर जी, हम कहीं भागे थोड़े ही न जा रहे हैंI टेंडर की कॉपी के लिए पैसे आपको दे दिये गये है। अब इससे आगे बढ़ना चाहते हैं तो कंपनी के नए प्लांट का ब्लूप्रिंट दिखा दीजिये।“


वीडियो समाप्त हो गया। विभोर सिर से पाँव तक पसीने से भीगा हुआ था, उसके हाथ पाँव काँप रहे थे।

"सर! मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गईI" कहते हुए जैसे ही वह उनके क़दमों पर गिरना चाहा .....

तभी बॉस की कड़कती हुई आवाज़ ने हाल में पसरे सन्नाटे को तोड़ दिया ।


"हरामखोर! जिस कम्पनी को माँ बताता है, उसी के साथ बलात्कार ? जिस थाली में खाता है उसी में छेद?" कहते हुए उसने इंटरकॉम का बटन प्रेस किया ?

"सिक्योरिटी, मैडम को अन्दर भेजो । "


अगले पल एमडी ने वीडियो वाली लड़की का परिचय अपने मैनेजमेंट से करवाया: इनसे मिलो ये हैं हमारी नई जनरल मेनेजर मिस रोजिटा ।”

( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।

लखनऊ । उ०प्र०
29/04/2016