Tuesday 3 January 2017

लालच

कंपनी बोर्ड की मीटिंग चल रही थी जिसको एम डी साहब चेयर कर रहे थे और सबके सम्मुख विभोर जो कंपनी का जनरल मैनेजर है मीटिंग का एजेंडा पढ़ रहा था । 

तभी एम डी साहब के मोबाईल पर  व्हाट्स एप्प वीडियो फ़्लैश हुआ । 

" अरे  जी ०एम्० साहब कब तक एजेंडा सुनाते हुए इन लोंगो को बोर करेंगे । आइये हम सब थोडा मनोरंजन कर लें । " 

" पर सर  कंपनी के लिए एजेंडा इम्पोर्टेन्ट है "  विभोर ने उन्हें टोकते हुए कहा ।

" जो मैं दिखाने जा रहा हूँ वह उससे भी अधिक महत्वपूर्ण हैं , उसको देखने के बाद आपकी जिंदगी भी बदल जानी है । पर उससे पहले मैं आप लोंगो से पहले कुछ पूछना चाहता हूँ - यह कंपनी आप लोंगों के लिये क्या मायने रखती है ? " 

अचानक कमरे में सन्नाटा पसर गया । 

" अरे आप सब तो अनुभवी लोग है अच्छा विभोर जी आप ही बताइये ? "

विभोर अपनी सीट से उठा और                  आत्मविश्वाश से बोला 

" सर कंपनी हमारी माँ है । " 

" क्यों  और कैसे ? " बॉस ने पूछा । 

" सर यह हमें रोजी-रोटी देती है । " कहते हुए वह अपनी सीट में वापस जा बैठा । 

" गुड मुझे आपसे ऐसी उम्मीद थी । "  एम डी साहब बोले । 

और अपने फोन को  प्रोजेक्टर से अटैच कर वीडियो दिखाने को कहा । 

" चलिये आज हम सब रोजी से मिलते हैं । 

प्रसन्न मुद्रा में विभोर ने प्रोजेक्टर को ऑन किया ।

होटल के कमरे में विभोर ने एक लिफाफा अपनी जेब से निकाला लड़की ने देखा उसकी फोटो खींची और पर्स से एक रूपये की गड्डी लिफ़ाफ़े के साथ उसके हाथ में रख दी । जैसे ही लड़की मोबाइल अपने पर्स में रखने वाली थी तभी उसने लड़की जैकेट की चेन की ओर हाथ बढ़ाया जिसे लड़की ने बीच में ही रोक दिया टेंडर की कॉपी के लिए पैसे आपको दे दिये गये है । इससे आगे बढ़ना चाहते हैं तो कंपनी के नये प्लांट का ब्लूप्रिंट दिखा दीजिये । साहब ना आप कही जा रहें हैं ना मैं । 

वीडियो समाप्त हो गया । विभोर सिर से पाँव तक पसीने से भीगा हुआ था । हाथ काँप रहे थे ।

" सर मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई " कहते हुए जैसे ही वह उनके क़दमों पर गिरना चाहा ...........

तभी बॉस की चीख ने हाल में पसरे सन्नाटे को तोड़ दिया ।

" हरामखोर अपनी ही माँ के साथ बलात्कार करता है । जिस थाली में खाता है उसी में छेद " कहते हुए उसने इंटरकॉम का बटन प्रेस किया - " प्लीज सैंड द सिक्योरिटी एंड द लेडी इन " 

अगले पल बॉस ने वीडियो वाली लेडी का परिचय अपने मैनेजमेंट से करवाया । 

मीट योर न्यू जी० एम० मिस रोजिटा


(पंकज जोशी)सर्वाधिकार सुरक्षित
मौलिक व अप्रकाशित 
०३/०१/२०१७
लखनऊ । उ०प्र०

काली

" बहू जी यह लो अपनी दूध की बाल्टी कल से दूध नहीं आयेगा मरद बोला है मेरा "  

सन्ध्या काली की बात सुन कर आश्चर्य में पड़ गई । " अरे ऐसे कैसे अचानक से दूध लाना बंद कर दोगी ? वह अपनी बात पूरी करती तभी काली तपाक से बोली वह बोला कि अगर बहू जी पूछें तो उनसे कह देना कि चारा मिलने में दिक्कत आ रही है अब शहर जा कर कोई काम ढूढेंगे । 

अरे यह भी कोई बात हुई सन्ध्या बड़बड़ाने लगी । कोई अपना बंधा हुआ काम छोड़ता है भला अरे तो फिर गाय को क्या करोगे कुछ नहीं वह बोला इसको कसाई को बेच देंगे ।

अच्छा जैसी तुम्हारी मर्जी यह लो तुम अपना आजतक का हिसाब उसने उसे पैसे देते हुए कहा पर छुट्टे नहीं बहु जी कोई बात नहीं तू रख इसे । वैसे भी दूध मैंने तेरे बच्चे के पेट भरने के लिये लगाया था वरना मैं अकेली जान इतना दूध थोड़े ही पीती हूँ । "

काली ने नोट अपने ब्लाउज में खोंसा और घर की ओर चल दी यह सोचते हुए बीबी जी के दूध खरीदने से उसके बच्चे का पेट कैसे भरेगा ।

( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
०३/०१/२०१७
लखनऊ । उ०प्र०
मौलिक व अप्रकाशित

ढहते किले

शहर की कॉस्मोपोलिटन ज़िन्दगी देखने की चाह व बेटी से मिलने की तड़प उनको यहाँ खींच लाई थी ।

" बेटे जी अह्ह्ह ! जी पपा मैं इधर हूँ ड्राइंग रूम में , रामलाल जी जो अभी अभी मॉर्निंग वॉक ले कर आये थे गले को ठीक करने लगे , 

जब से मैं आपके घर आया हूँ देख रहा हूँ आप लोंगो कुछ ज्यादा ही बिजी हैं । सुधीर कब आता है कब चला आता है पता ही नहीं चलता । 

बच्चे स्कूल गये ? जी , पपा जी ।
बिना देखते हुए उसने प्रत्युत्तर दिया ।

पप्पा आज सुनिधि के वहाँ किट्टी पार्टी है तो दिन का मेरा खाना तो उसके घर है आपके लिये क्या बना दूँ , एक पत्ते के ऊपर दूसरे पत्ते को टिकाते हुए वह बोली ।

कुछ भी जिसमें आपको सुविधा हो । ठीक है मैं मालती को बोल दूँगी वह आपकी मन पसंद खिचड़ी बना देगी ।

ठीक है जैसा आप उचित समझे पर यह सुबह सुबह आप क्या लेकर बैठ गईं ?

पपा जी ताश का घर बनाने की कोशिश कर रहीं हूँ  ,  इससे दिमाग फोकस होता है , पर बेटा यह सब दिन में , जब व्यक्ति फुर्सत में हो तब यह सब चलता है यह सही वक्त नहीं है । 

तभी वह उसे चिड़ाने के लिये हल्की सी हवा में फूँक मारता है । ताश की मंजिले एक एक करके जमीं दोज हो गईं ठीक वैसे ही जैसे बचपन में कोई तेज लहर उसके रेत के घर को अपने साथ बहा ले जाती थीं । 

पप्पा यह क्या किया आपने फिर मेरा घर ढहा दिया । बेटी के सिर में हाथ फेरते हुए बोले बेटे जी मैंने कुछ कहाँ किया उसकी बुनियाद ही कमजोर होगी । 

मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे " अगर नकली घर ढहाने से असली घर बचता है तो ऐसा ही सही ।"

( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित
०३/०१/२०१७
लखनऊ । उ०प्र०