लघुकथा :- ईर्ष्या
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" ईर्ष्या किसी
और का बुरा करे या ना करे पर इससे ग्रसित व्यक्ति अपना तो बुरा करता ही है साथ में
इसका वायरस व्यक्ति के पूरे परिवार को खा जाता है । यह एक लाइलाज बीमारी है और
इसका निराकरण , निवारण भी आपको ही करना है । मन में पनपने से पहले
ही इसको आपने रोक देना है ।"
आनंद
सपरिवार स्वामी जी का प्रवचन सुन भावविभोर हो रहा था , धन्य हो गया उसका जीवन प्रसाद ग्रहण कर अपने
घर की ओर चल दिया ।
अगले दिन अखबार के
प्रथम पृष्ठ पर खबर पढते ही मुँह अवाक खुला का खुला ही रह गया ।
फलां
फलां स्वामी जी के सत्संग के चढ़ावे के बटवारें को लेकर आयोजक और शिष्यों के
बीच सर फ़ुटवल्ल । दोनों पक्षों के आधा दर्जन लोग घायल ।
(पंकज
जोशी) सर्वाधिकार
सुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
21/02/2015
लखनऊ । उ०प्र०
21/02/2015
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