Sunday 15 February 2015

चित्र कथा :- अधूरा प्रेम
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बहुत पुरानी बात है , जंगल मे युगल पक्षी जोड़ा रहता था , जिनकी हाल ही मे दोस्ती हुई और प्रेमसूत्र में बंध गये ।

बड़े बरगद के पेड़ को चुन दोनों ने उसमें अपना आशियाना बनाने की ठानी। और एक आरामदायक घोंसला अपने लिए तैयार किया ।
सब ठीक चल रहा था । तभी जंगल मे कुछ बहेलिये आये उन्होंने अपने हाथों मे जाल पकड़ा हुआ था। चिड़े ने उनकी बातें सुन ली कि वह उन दोनों को पकड़ने के लिये आयें हैं । एक रात जब चिड़ी सो गई तो चिड़े ने पेड़ से कूद कर स्वयं को जाल मे फंसा लिया ।तड़के ही पक्षी को फंसा देख बहेलिये वहां से चले गए ।
जब सुबह चिड़ी की आँख खुली तो उसने चिड़े को घोसलें मे नहीं पाया और उसने खाना पीना त्याग चिड़े के वापस लौटने का इंतज़ार करने लगी । पर चिड़ा को वापस ना आता देख कुछ दिनों के पश्चात उसको बेवफा मान चिड़ी ने उसके वियोग मे अपने प्राण त्याग दिए ।
एक दिन चिड़ा बहेलिये की कैद से छूट सीधे अपने आशियाने पहुंचा तो पाया कि चिड़ी तो मरी पड़ी है ।
चिड़ा आज भी उदास जोर जोर से वन देवी से पूछ रहा है , यह कैसी नियति है , किसकी गलती है चिड़े की जिसने वफ़ा की, या जुल्मी बहेलिये की जिसने उनके लिए जाल बिछाया था या चिड़ी की जिसको अपने प्रेमी के ऊपर भरोसा नहीं था ।

(पंकज जोशी) सर्वाधिकारसुरक्षित 
लखनऊ । उ०प्र०
15/02/2015


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