प्रायश्चित
----------
अब्दुल्ला ने आतंकवाद का रास्ता छोड़ एक सामान्य नागरिक का जीवन बिताने का फैसला किया ।
आज जुमा है , वह नमाज करके जैसे ही उठा तो सामने उसने राशिद को खड़ा पाया ।
" क्या हुआ राशिद ऐसा बदहवास सा क्यों है ? , क्या बात ......... ? " इससे पहले कि वह कुछ बोलता , उसने उसके हाथ में एक पर्ची थमा दी , तेजी से पलटा और वहां से चला गया ।
पंद्रह अगस्त के दिन स्कूल में आतंक वादी हमला ! रह रह कर पर्ची में लिखे शब्द उसे याद आ रहे थे ।
स्कूल में आयोजन की जबरदस्त तैयारी चल रही थी । झंडा रोहण शुरू होने ही वाला था तभी उसने दूर से मानव बम फैजल को चिन्हित कर लिया ।
अब्दुल्ला की पैनी नजर दूर से उसके ऊपर टिकी थीं ।
जब तक वह मंच तक पहुँचता , अब्दुल्ला उस पर भूखे शेर की तरह झपट पड़ा ।
मंच से दूर मैदान पर एक जोरदार धमाका हुआ ।
अब्दुल्ला की शहादत बेकार नहीं गई । सैकड़ो खिलते मासूम चेहरे इस बात के गवाह थे ।
( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
14/08/2015