तहजीब -1
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" कोई मुझ बूढे अंधे , को सड़क पार करा दो बड़ा अहसान होगा " फकीर राहगीरों से मदद मांग रहा था ।
कालेज अभी अभी छूटा था , तभी दो लड़के उसके पास पहुंचे उसका हाथ पकड़ा और सड़क पार कराने की जगह उसको बीच भरे चौराहे पर ले जाकर खड़ा कर दिया ।
" भगवान तुम्हारा भला करे बच्चों -जुग जुग जियो "
" हमारी नहीं अपनी चिंता करो अब बैठो यही और मरो ।" लड़के हंसने लगे
तभी एक कार रुकी उसमे से एक महिला उतरी और उनमे से एक लड़के के गाल पर झन्नाटेदार तमाचा रसीद दिया ।उसके बाद उसने बड़े सलीके को बुजुर्ग को गाडी में बिठाकर वृद्धाश्रम छोड़कर आते वक्त उसकी नम आँखों में अपने भूलों की दास्तान उभर कर आ चुकी थी । प्रायश्चित नामुमकिन था ।
( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
21/07/2015
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" कोई मुझ बूढे अंधे , को सड़क पार करा दो बड़ा अहसान होगा " फकीर राहगीरों से मदद मांग रहा था ।
कालेज अभी अभी छूटा था , तभी दो लड़के उसके पास पहुंचे उसका हाथ पकड़ा और सड़क पार कराने की जगह उसको बीच भरे चौराहे पर ले जाकर खड़ा कर दिया ।
" भगवान तुम्हारा भला करे बच्चों -जुग जुग जियो "
" हमारी नहीं अपनी चिंता करो अब बैठो यही और मरो ।" लड़के हंसने लगे
तभी एक कार रुकी उसमे से एक महिला उतरी और उनमे से एक लड़के के गाल पर झन्नाटेदार तमाचा रसीद दिया ।उसके बाद उसने बड़े सलीके को बुजुर्ग को गाडी में बिठाकर वृद्धाश्रम छोड़कर आते वक्त उसकी नम आँखों में अपने भूलों की दास्तान उभर कर आ चुकी थी । प्रायश्चित नामुमकिन था ।
( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
21/07/2015
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