पक्की नौकरी
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द्वितीय विश्वयुद्ध को खत्म हुए 70 साल हो गए ! पर यह पठ्ठा है कि सुधरने का नाम ही नहीं लेता , सभी इसका स्वागत हेल हिटलर कहते हैं , कुछ तो इसको स्वर्ग का खुदा भी कहते हैं ।
जीसस ! भी इसी का कहा मानते है । यहाँ भी तानाशाही स्टालिन ने चर्चिल से फुसफुसाते हुए कहा सामने टेबल के दूसरी ओर हिटलर और उसका सहयोगी हिम्लर ब्रेकफास्ट कर रहे थे उनकी बातें सुन कर हिटलर से रहा नहीं गया सीधे प्लेट स्टॉलिन के मुँह पर दे मारी
" तो क्या तुम्हारे मार्क्स वाद को यहाँ पनपने दूँ या इस चर्चिल के ब्रिटिश साम्राज्य वाद को जिसके रानी के साम्राज्य में कभी सूर्यास्त नहीं होता था । आज मुँह छिपाते फिर रही है ।
तुम दोनों ने सर्वहारा और साम्राज्य वाद के नाम पर दुनिया में तबाही मचवाई और तुम तो कुछ बोलना नहीं रूजवेल्ट के बच्चे , तुम्हारी अमरीकी विदेश नीति ने दुनिया को तबाही के कगार पर पहुँच दिया है ।
आज ग्रीस बैंकरप्ट हैं तो वह तुम तीनो की वजह से ।
तुमने मेरी जर्मनी को लूटा, मैंने उसको पांच सालों में उसे सबसे अमीर देश बना दिया था , सबके चेहरे खिले थे ,सबके पास नौकरी थी।
दुनिया में लोग बेरोजगार है भूखे मर रहे हैं , आत्महत्या का दर बढ़ गया है ।
यह तो मैं हूँ जिसकी वजह से तुम लोगों को यहाँ दो वक़्त की रोटी नसीब हो रही है ।"
स्वर्ग में ब्रेकफास्ट रूम में भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी लोग हेल हिटलर चिल्ला रहे थे ।
तब तक वहां से स्टालिन , चर्चिल ,रूजवेल्ट खिसकने में ही भलाई समझी ।
स्वर्ग भी दो धड़ों में बंट चुका था वहाँ पर भी प्रथम विश्व युद्ध की आशंका के बादल साफ़ नजर आ रहे थे ।
" ज़िंदा ना सही मरने के बाद लोगों की नौकरी पक्की होना तय है ।"
( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
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