भँवर - मायावी
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ऑफ़िस कैंटीन में अर्जुन को सिगरेट के बट पे बट बुझाते हुये देखते हुए उसके बचपन का सखा और यहाँ का बॉस कृष्ण इतना वयग्र हो चुका था कि झट से आगे बढ़ कर उसके हाथ से पैकेट छींनते हुए कहा-
" मेरा मित्र इतना निरीह और बेबस क्यों ?"
आप तो जानते हैं सर कि कल कोर्ट की तारीख है और उस समर भूमि में द्रौपदी के चीर हरण पर बाबा , ताऊ , और बांधव ,माता कुंती से जब दुर्योधन का वह नीच वकील शकुनि अपने सवाल के पांसे फेकेगा तो इसका सामना वे कैसे कर पायेंगे"
" बस ! इतनी सी बात " आपके लिये होगी मेरे लिए जीने मारने का प्रश्न है ।"
" तुम्हारी यही बात मुझे अच्छी नहीं लगती पार्थ जब देखो तो मैं मेरा करते रहते हो " कल का दिन रण का दिन है और तुम शोक में डूबे सिगरेट फूक रहे हो ? "
कोर्ट रूम में जज वकील शकुनि का इन्तजार कर थक चुका था । दुर्योधन की याचिका खारिज की जा चुकी थी।
गुडाकेश समझ चुका था कि उसे इस भँवर से किसने निकाला ।
( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
08/06/2015
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ऑफ़िस कैंटीन में अर्जुन को सिगरेट के बट पे बट बुझाते हुये देखते हुए उसके बचपन का सखा और यहाँ का बॉस कृष्ण इतना वयग्र हो चुका था कि झट से आगे बढ़ कर उसके हाथ से पैकेट छींनते हुए कहा-
" मेरा मित्र इतना निरीह और बेबस क्यों ?"
आप तो जानते हैं सर कि कल कोर्ट की तारीख है और उस समर भूमि में द्रौपदी के चीर हरण पर बाबा , ताऊ , और बांधव ,माता कुंती से जब दुर्योधन का वह नीच वकील शकुनि अपने सवाल के पांसे फेकेगा तो इसका सामना वे कैसे कर पायेंगे"
" बस ! इतनी सी बात " आपके लिये होगी मेरे लिए जीने मारने का प्रश्न है ।"
" तुम्हारी यही बात मुझे अच्छी नहीं लगती पार्थ जब देखो तो मैं मेरा करते रहते हो " कल का दिन रण का दिन है और तुम शोक में डूबे सिगरेट फूक रहे हो ? "
कोर्ट रूम में जज वकील शकुनि का इन्तजार कर थक चुका था । दुर्योधन की याचिका खारिज की जा चुकी थी।
गुडाकेश समझ चुका था कि उसे इस भँवर से किसने निकाला ।
( पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ.प्र
08/06/2015
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