दीवार - - पैसा - 1
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" बापू कल से हम
खेतों पर काम करने नहीं जायेंगे "- हरिराम
ने खाना खाते हुए अपना फरमान घर वालों को सुना दिया ।
गॉव में गोबर
से पुती हुई झोपड़ की चाहरदीवारी उसके जीवन में सुकून नहीं दे पा
रही थीं ।
“ क्या तू भी इस
बुढापें में हमको औरों की तरह असहाय छोड़ कर विदेश चला
जायेगा“ ?
अरे बापू कुछ सालों की ही तो बात है , पैसा कमाया और देश वापस ।
भाग्य से
विदेश में उसे एक कन्स्ट्रक्शन कम्पनी में काम भी मिल गया ।
और कुछ ही वर्षो में
कुबेर उस पर ऐसे प्रसन्न हुए कि उसकी काया पलट हो गई ।
वापस लौटा तो
खुद की कंस्ट्रक्शन कम्पनी का मालिक हों गया, काम चल निकला
, अब चारों तरफ रुपये की बरसात होने लगी।
उसका धनिक होना रिश्तेदारों से दूरी का कारण बना .... ।
आज वह जेल में
बंद अपने अपने कर्मो की सजा भुगत रहा है ।
( पंकज जोशी )
सर्वाधिकार सुरक्षित।
लखनऊ । उ प्र
29/ 04/ 2015
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