Monday 30 March 2015

आईना
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तुम कौन ? मैंने तुम्हे पहचाना नही, मैं तुम्हारा बीता हुआ कल हूँ। मेरा काम ही लोंगो को उनका असली चेहरा दिखाना है आज से पैंतीस साल पहले तुम्हारे द्वारा किये गए जुर्मों से तो कोर्ट ने तुम्हें बरी कर दिया । पर मेरी अदालत में तुम आज भी गुनहगार हो ।

(पंकज जोशी ) सर्वाधिकार सुरक्षित
लखनऊ   उ प्र

30/03/2015

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