लघुकथा :- फैशन
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गरीबी से उठ कर बड़े हुये अमीर बाप
की इकलौती बिटिया की कहानी है ।उसके शॉपिंग मॉल में घुसते ही ऊपर से नीचे शोरूम
सभी कर्मचारी मुस्तैद हो जाते थे।वह जिस भी दुकान पर रूकती और जिस भी ड्रेस पर हाथ
रखती वह उसकी हो जाती । कुल मिला कर वह फैशन परस्त थी ।
बड़ी
हो कर उसने माया नागरी की ओर रुख किया और उसके कदम पड़ते ही उसकी खूबसूरती ने फैशन
जगत में तहलका ही मचा दिया ।
धीरे
धीरे उसे फ़िल्म इन्डस्ट्रीज में रोल मिलने लगा। और एक बाद एक सफल फिल्में देने के
बाद अचानक वह सिल्वर स्क्रीन से गुमनामी के अँधेरे में गायब हो गयी। और अपने पीछे
छोड़ गई एक बड़ा सा शून्य ,एक रिक्त स्थान जो सदा के लिए अपने प्रशंषको के
मानस पटल प्रश्न चिन्ह छोड़ गई , आखिर कब , कहाँ और क्यों ?
(पंकज जोशी) सर्वाधिकारसुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
09/03/2015
09/03/2015
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