लघु कथा :- रिश्ते
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दृश्य 1:-सुबह उसने बोला भैय्या मुझे स्वाइन फ्लू का डर है ,टेस्ट कराने पी .जी.आईं जाना है एक घण्टे में आ जाऊँगा.आपकी गाडी ले जा
सकता हूँ क्या ? मेरे पास आज गाडी नहीं है। मैंने कहा ले जाओ
।
दृश्य
2:-शाम को ऑफिस से लौटते वक़्त देखा कि वह गाडी को
स्टार्ट कर रहा है , भाई क्या हुआ गाड़ी नहीं चल रही क्या ?
पड़ोस के एक और भाई साहब अस्थाना जी भी उसके साथ थे। वह बंदा मुझे
देख कर बोला भैय्या डॉक्टर से बात की वह कह रहे हैं कि रिपोर्ट पॉजिटिव है
तुरंत आओ ,मुझे घबराहट हो रही है क्या ?आप मेरे साथ हॉस्पिटल चले चलेंगे ? मैंने कहा चलो ।
दृश्य 3:-
खैर हॉस्पिटल से रिपोर्ट ली और दवाखाने पहुंचें साथ में अस्थाना
भाईसाहब भी थे जिनकी गाडी वह ले करके आया था । डॉक्टर ने पेसेंट को दूर खड़ा कर
दिया और हमको अंदर बुला कर सरकारी प्रक्रिया पूरी करने लगा और रिपोर्ट फ़ाइल में
लगाते हुए कहा , आप अपना यहां नाम पता और मरीज से क्या
रिश्ता है लिखें ,
दृश्य
4:-मेरे मुहँ से निकल गया भई हम तो पडोसी हैं और
इसके भाई व बहन तो सब बाहर हैं हमीं इनको लेकर यहाँ आएं हैं । तभी साथ वाले
अस्थाना भाईसाहब बोले मैं इसका बड़ा भाई हूँ लाओ कहाँ रजिस्टर में दस्तखत करने हैं
। मैं अवाक उनका मुँह ताकता रह गया ।
(पंकज
जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
16/03/2015
लखनऊ । उ०प्र०
16/03/2015
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