निम्मी एक
खुले विचार धारा और एक सभ्रांत परिवार की लड़की है । उसके पिता भारतीय प्राशनिक
सेवा मे उच्च अधिकारी है वह अपने चारों भाइयों की इकलौती और चहेती है। पूरा घर
खुशहाल और भरपूरा था या यूं कहिये की आदर्श भारतीय समाज की एक झलक देखनी हो तो
ठाकुर रणधीर के घर चले आइये । निम्मी उसके घर का नाम है वैसे उसका पूरा नाम नमिता
सिंह है ।
निम्मी को नए दोस्त बनाना और सैर सपाटा करना अत्यधिक प्रिय था मानो
यह उसके जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया हो।बारहवीं के बाद उसने सेंट स्टीफ़ेंस मे
बी०ए० (इंग्लिश आनर्स ) मे दाखिला ले लिया।समय कब पंख लगा कर उड़ चला यह ना निम्मी
को ना ही उसके परिवार वालों को पता चला । बी०ए० पास करने के बाद निम्मी ने एम०ए०
करने का फैसला किया।अब निम्मी सिर्फ एक लड़की नही रह गयी थी प्रकृति ने उसके
शारीरिक अंगो के विकास कर उसे एक खूबसूरत नव युवती का रूप प्रदान किया था यौवन की
छाया पूरे शरीर मे परिलक्षित होने लगी थी । इस बार पूरे परिवार को ना जाने किसकी
नज़र लगी कि केदारनाथ व बदरीनाथ गर्मियों की छुट्टीयां मनाने गए उसके परिवार को
प्रकृति ने अपनी गोद मे सबको लील लिया । यह तो कोई चमत्कार ही था जो निम्मी ने
वहां जाने से इंकार कर दिया था और वह अपने मामा के घर देहरादून ही रुक गयी थी ,क्योंकि उसकी बचपन की सहेली व ममेरी बहन अमेरिका से जो आई थी ,खूब गपशप लड़ाएंगे उससे यह सोच कर निम्मी ने आगे की यात्रा करने से मना कर
दिया।प्रकृति ने भी ऐसा तांडव खेला था कि परिवार के परिवार ही काल की गोद मे समा
गए थे हर ओर तबाही और हाहाकार का मंजर था । लाशें बिखरी व सड़ चुकी और पहचान मे भी
नही आ रहीं थी । खैर क्रिया कर्म करने के पश्चात वह वापस दिल्ली आ गयी । अकेला घर
काटने को दौड़ता था सो उसने अपने क्लास की लड़की रेखा को पी जी रख लिया । दोनों के
बीच काफी अच्छी अंडरस्टैंडिंग बन गयी थी । कभी कभार रेखा का चचेरा भाई आकाश ,जो की एक फार्मा कंपनी मे मैनेजर था ,उससे मिलने आने
लगा ।दोनों के बीच शुरू हुई दोस्ती ने कब प्रगाढ़ संबंधो का रूप ले लिया यह निम्मी
को भी नहीं पता चला ।और एक दिन आकाश ने खाने की टेबल पर निम्मी के सामने विवाह का
प्रस्ताव रख दिया । निम्मी के सूने जीवन मे फिर से बहार आने की दस्तक दे रही हो ।
वह प्रस्ताव को मना नही कर पायी और मन ही मन अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए
उसने हाँ कर दी । अब तक रेखा जो उसकी दोस्त थी आज से उसकी ननद हो गयी थी । शुरुआत
के कुछ साल तो सब कुछ ठीक ही चलता रहा और अब तो निम्मी एक बच्चे की माँ भी बन चुकी
थीऔर अपने बच्चे के साथ समय कैसे बीत जाता था उसे पता ही नही चलता था । परन्तु
आकाश के शक्की मिजाज ने उसे बाहरी दुनिया से लगभग काट ही दिया था । जब चाहता तब वे
लोग बाहर घूमने जाते उसने भी नियति को ईश्वर की इच्छा मान कर स्वीकार कर लिया ।
उसने स्वयं रेखा से इस बारे मे बात करनी चाही पर उसने भी इसे पति पत्नी के बीच का
झगड़ा बता कर अपना पल्ला झाड़ लिया ।आकाश की महत्वाकांक्षा ने उसे मानो अँधा ही बना
दिया -क्या पद और धन सम्पति ही जीवन के असल मायने है प्यार की कोई अहमियत नहीं ।रोज
आये दिन घर मे क्लेश होनें लगा था जो घर कभी स्वर्ग समान था आज वोही घर श्मसान
समान नज़र आने लगा था। और एक दिन ऐसा भी आया कि कंपनी के खातों मे गबन के कारण उसे
नौकरी से तो हाथ धोना ही पड़ा साथ मे जेल अलग से हुई। बडी मुश्किल से निम्मी के
प्रयासों से उसकी जमानत हुई । परिवार समाज से पूरी तरह से बहिष्कार हो गया था ।अब
घर चलाने के लिये निम्मी को एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करनी पड रही थी । सामाजिक
बहिष्कार , घरेलू झगडे हिंसक व्यवहार और नशे की लत ने आकाश को
एक परजीवी व्यक्ति बना दिया था । आकाश का रोज-रोज शराब पीकर घर आना और मारपीट करना
अब निम्मी की सहन शक्ति के बाहर था। एक दिन उसने तंग आकर बच्चे के साथ अपने मामा
के था चली आयी ।कुछ दिनों तो वह उनके साथ रही बाद में उसने अपना दिल्ली वाला घर
बेच कर नया घर लिया और वहीं एक विद्यालय में लेक्चरार हो गयी। पर फूटी किस्मत ,आकाश यहाँ भी उसको ढूढंते ढूंढते चला आया।और उससे तलाक के पेपर साइन कर
बच्चे की कस्टडी की बात करने लगा ।पर निम्मी जिसका पांच वर्ष का बेटा ही उसके जीने
का सहारा हो वह कैसे उन पेपर पर साइन करती ।उसने उसके मुँह पर पेपर मारते हुये
पेपर साइन करने से मना कर दिया उलटे थाने जाकर उसके खिलाफ शारीरिक और मानसिक
उत्पीड़न की रिपोर्ट आकाश के खिलाफ दर्ज करा दी । आकाश ने अब तक निम्मी का अबला
नारी का ही रूप देखा था आज जब उसने उसके अंदर की दुर्गा शक्ति का रौद्र रूप देखा
तो वह घबरा गया और वापस चला आया । अब निम्मी के अन्दर का ज्वालामुखी शांत हो चला
था । एक दिन निम्मी के पास आकाश की मौत की खबर आई कि उसने जहर खाकर आत्म हत्या कर
ली ,वह आकाश जो उसका पहला और आखिरी प्यार था ,उसके पार्थिव शरीर के आखिरी दर्शन करने अपने मामा के साथ सीधे घाट जा
पहुँची ,पर अब तक तो उसकी आँखों के आँसू भी सूख चुके
थे।क्रियाविधि संपन्न होने के बाद वह वापस चली आई ।अब इस बात को पच्चीस बरस बीत
चुके हैं । उसके बेटे की आज शादी है जो कि भारतीय वायुसेना का अधिकारी है । निम्मी
का जवानी से भरा कष्ट पूर्ण जीवन और भविष्य से लगायी उम्मीद आज पूरी होने को आयी
है।
(पंकज जोशी)सर्वाधिकार सुरक्षित।
लखनऊ ।उ०प्र०
०९/०१/२०१५
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