Friday 23 January 2015

लघुकथा:- पहला प्यार
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राहुल आज भी ठीक उसी चौराहे पर खड़ा अपनी प्रेयसी का इंतज़ार करता है । यह उसकी रोज की दिनचर्या का हिस्सा है वह ठीक शाम पांच बजे रग्घू चाय वाले की दुकान पर बैठता ,चाय पीता, अपने कुर्ते की जेब से सिगरेट wills का पैकेट निकालता फिर धीरे से माचिस से उसको जलाता , एक लम्बा गहरा कश और हवा में धुंए का छल्ला बनाता और जब रात घिरने को आती तो वह वहाँ से उठता और चल देता दारु के ठेके पर अपना गम गलत करने को । सारा शहर उसे पगला मजनूं कह कर चिढाता ,लंबी दाड़ी ,पिचके गाल,मैला कुर्ता पैजामा, पैरों में टूटी चप्पल ,शरीर से आती दुर्गंध कहती कि ना जानें कब से इसने नहाया नहीं । उसकी माँ भी उसे समझाते समझाते स्वर्ग सिधार गई 'बेटा अब तो अपना घर बसा लें । उसकी कभी अच्छी खासी क्लास -l की सरकारी नौकरी थी , उसको भी उसने लात मार दी। राहुल की उदास, देवयानी को ढूंढती , आँखें मानो उसको आश्वश्त करती हैं कि आज नहीं तो कल देवयानी जरूर आयेगी । पर देवयानी तो इस दुनिया में थी ही नहीं उसकी मौत तो बहुत पहले ही हो चुकी थी । – पर अधेड़ उम्र का राहुल इस बात को आज भी नहीं स्वीकार करता हैं वह तो यह समझता है कि सारा ज़माना उससे बैर पाले हुए है उसकी प्रेयसी एक दिन जरूर आयेगी । देवयानी ने उससे वापस आने का वादा जो किया था । ट्रेन में चढ़ते वक्त जब वह दीवाली की छुट्टी पर अपनी बीमार माँ से मिलने ,अपने घर जा रही थी । तब राहुलने मजाक के लहजे में कहा -" भूल तो नहीं जाओगी वहाँ जाकर मुझे" अरे ऐसे कैसे भूल सकती हूँ । कोई सदा के लिए थोड़ी ही जा रहीं हूँ । देवयानी ने राहुल को उत्तर दिया। फिर राहुल के गाल पर प्यार से अपना हाथ फेरते हुए बोली –"अपने पहले प्यार को भी कोई भूल सकता है । बस दोतीन दिन की ही तो बात है । बस यूँ गयी और ऐसे लौट कर आयी । इस बार तो माँ भी साथ आयेंगी कह रहीं थीं "पगली एक बार तो राहुल से मिला देखूँ तो सही जिसके प्यार में मेरी लड़की इतनी पागल है वह देखने में कैसा होगा " दोनों काफी देर तक ट्रेन की खिड़की से ही एक दूसरे का हाथ पकडे आँखों ही आँखों में एक दूसरे के चेहरे में मानो बिछुड़ने का भाव पढ़ रहे थे । इधर ट्रेन ने सीटी दी , उधर गार्ड साहब ने हरा सिग्नल दिया और वक्त ने धीरे-धीरे एक दूसरे के हाथों को छुड़ाने की कोशिश की, पर आखिर में दोनों ने एक दूसरे की उँगली को छुआ फिर अलग हो गये । जल्दी आना राहुल ने चिल्ला कर कहा-उधर देवयानी की आवाज आई तुम भी अपना ख्याल रखना ,गाडी धीमी चलाना । आवाज के साथ फिर वह ओझल हो गयी । अगले दिन सुबह की चाय की चुस्की लेते हुए राहुल ने जैसे ही दरवाजे पर पड़ा अखबार उठाया , चाय का प्याला उसके हाथ से छूठ गया,और प्याले के गिरने की आवाज दूर तक सुनाई पड़ी ,उसके हाथ काँप रहे थे , होंठ कुछ बुदबुदा रहे थे -रामपुर जाने वाली ट्रेन दुर्घटना ग्रस्त , आधा दर्जन यात्रियों की मौत व पच्चास घायल , मरने वालों में एक नाम देवयानी का भी था । उसका पहला प्यार अब इस दुनिया में नहीं था ।
(पंकज जोशी) सर्वाधिकार सुरक्षित ।
लखनऊ । उ०प्र०
२३/०१/२०१५


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